जो मर कर भी अमर हैं (जीवनी-संस्मरण) : स. सुरेश सलिल
क्रांतिकारी शहिदों की जीवनी और संस्मरण की किताब. करतार सिंह, भगत सिंह, रामप्रसाद बिस्मिल, अशफाक, चन्द्रशेखर आज़ाद सहित एक दर्जन से ज़्यादा क्रांतिकारियों के जीवन और संघर्ष की दास्तान. सत्तावनी दिल्ली के खूनी दिन से काकोरी के अमर शहिदों की जीवन गाथा तक...
तुलसीराम व्यक्तित्व और कृतित्व (संस्मरण/आलोचना) : स. श्रीधरम
वरिष्ठ दलित लेखक और चिंतक तुलसीराम के समग्र जीवन और लेखन पर केन्द्रित किताब. उनके समकालीन और करीबी जनों के संस्मरणों के साथ ही मूल्यांकन खण्ड में विद्वान लेखकों-आलोचकों के आलोचनात्म लेख. मुर्दहिया से मणिकर्णिका तक का समग्र मूल्यांकन और उनके कुछ बेहद चर्चित लेख भी.
वरिष्ठ दलित लेखक और चिंतक तुलसीराम के समग्र जीवन और लेखन पर केन्द्रित किताब. उनके समकालीन और करीबी जनों के संस्मरणों के साथ ही मूल्यांकन खण्ड में विद्वान लेखकों-आलोचकों के आलोचनात्म लेख. मुर्दहिया से मणिकर्णिका तक का समग्र मूल्यांकन और उनके कुछ बेहद चर्चित लेख भी.
तुमि चिर सारथि (नागार्जुन-आख्यान) : तारनन्द वियोगी
जन कवि नागार्जुन के जीवन का आत्मीय आख्यान. लम्बे समय तक उनके सान्निध्य में रहे मैथिली के प्रखर रचनाकार तारानन्द वियोगी ने बहुत आत्मीयता के साथ नागार्जुन के अंतरंग-संसार का रोचक संस्मरण इस पुस्तक में प्रस्तुत किया है.
जन कवि नागार्जुन के जीवन का आत्मीय आख्यान. लम्बे समय तक उनके सान्निध्य में रहे मैथिली के प्रखर रचनाकार तारानन्द वियोगी ने बहुत आत्मीयता के साथ नागार्जुन के अंतरंग-संसार का रोचक संस्मरण इस पुस्तक में प्रस्तुत किया है.
अंधेरा भारत (आत्म-कहानी) : रामजी यादव
पुलिसिया दमन के शिकार साधारण जन की आत्म-कहानी. वाराणसी और आसपास के इलाके के ईंट भट्ठे में काम करने वाले दलित मजदूर, खासकर मुसहर समाज, के लोगों के उत्पीडन से जुडी दर्दनाक गाथा है इस पुस्तक में. भुक्तभोगियों की आत्म कहानी.
पुलिसिया दमन के शिकार साधारण जन की आत्म-कहानी. वाराणसी और आसपास के इलाके के ईंट भट्ठे में काम करने वाले दलित मजदूर, खासकर मुसहर समाज, के लोगों के उत्पीडन से जुडी दर्दनाक गाथा है इस पुस्तक में. भुक्तभोगियों की आत्म कहानी.
मानव संसाधन प्रबंधन के अनुभूत आयाम (मानव-संसाधन) : राम जनम सिंह
मानव संसाधन प्रबंधन विषय पर हिन्दी में यह पहली किताब है. कारपोरेट जगत में काम करने वाले युवाओं के लिए बेहद उपयोगी. हिंडाल्को में 35 वर्षों की सेवा के अनुभवों को लेकर लेखक ने सहज रोचक भाषा में इस किताब की रचना की है.
मानव संसाधन प्रबंधन विषय पर हिन्दी में यह पहली किताब है. कारपोरेट जगत में काम करने वाले युवाओं के लिए बेहद उपयोगी. हिंडाल्को में 35 वर्षों की सेवा के अनुभवों को लेकर लेखक ने सहज रोचक भाषा में इस किताब की रचना की है.
दाह (दलित आत्मकथा) : ल. सि. जाधव
मराठी के उपन्यासकार ल. सि. जाधव की आत्मकथा. मराठी में पहले से चर्चित दलित आत्मकथा का हिन्दी संस्करण. मतंग समाज की समग्र और विश्वसनीय अनर्कथा. जीवन-संघर्ष के साथ ही जीवन-दर्शन से युक्त. बेहद पठनीय और बहसतलब आत्मकथा.
मराठी के उपन्यासकार ल. सि. जाधव की आत्मकथा. मराठी में पहले से चर्चित दलित आत्मकथा का हिन्दी संस्करण. मतंग समाज की समग्र और विश्वसनीय अनर्कथा. जीवन-संघर्ष के साथ ही जीवन-दर्शन से युक्त. बेहद पठनीय और बहसतलब आत्मकथा.
फिरंगी ठग (उपन्यास) : राजेन्द्र चन्द्रकांत राय
ठगों के जीवन पर केन्द्रित उपन्यास. पीले रुमाल वाले ठगों का कभी हमारे देश पर गहरा आतंक रहा है. बड़ी ही रहस्यपूर्ण और भयानक थी उनकी दुनिया. अपराध के क्रूरतम संसार के सत्य को स्लीमन की रपटों से निकालकर यह उपन्यास अपने पाठकों को नए सत्य से परिचित कराता है. शिल्पगत प्रयोगों और भाषा की रवानी ने इसे एक अलग आभा प्रदान की है. पढ़ते हुए प्रतीत होता है जैसे हम खुद भी तुपॉनी के गुड का लुत्फ लेने लगे हैं.
ठगों के जीवन पर केन्द्रित उपन्यास. पीले रुमाल वाले ठगों का कभी हमारे देश पर गहरा आतंक रहा है. बड़ी ही रहस्यपूर्ण और भयानक थी उनकी दुनिया. अपराध के क्रूरतम संसार के सत्य को स्लीमन की रपटों से निकालकर यह उपन्यास अपने पाठकों को नए सत्य से परिचित कराता है. शिल्पगत प्रयोगों और भाषा की रवानी ने इसे एक अलग आभा प्रदान की है. पढ़ते हुए प्रतीत होता है जैसे हम खुद भी तुपॉनी के गुड का लुत्फ लेने लगे हैं.
छिन्नमूल (उपन्यास) : पुष्पिता अवस्थी
छिन्नमूल औपनिवेशिक दौर में बतौर गुलाम सूरीनाम गए भारतवंशी किसान-मज़दूरों की संघर्षगाथा के साथ-साथ वहाँ की वर्तमान जीवन-दशा, रहन-सहन, रीति-रिवाज और सामाजिक-राजनीतिक परिस्थितियों को उद्घाटित करने वाला हिन्दी का पहला उपन्यास.
छिन्नमूल औपनिवेशिक दौर में बतौर गुलाम सूरीनाम गए भारतवंशी किसान-मज़दूरों की संघर्षगाथा के साथ-साथ वहाँ की वर्तमान जीवन-दशा, रहन-सहन, रीति-रिवाज और सामाजिक-राजनीतिक परिस्थितियों को उद्घाटित करने वाला हिन्दी का पहला उपन्यास.
कोई दीवार भी तो नहीं (कविता-संग्रह्) : सुरेश सलिल
वरिष्ठ कवि सुरेश सलिल की पिछले दस वर्षों में लिखी गईं कविताओं का संग्रह.
वरिष्ठ कवि सुरेश सलिल की पिछले दस वर्षों में लिखी गईं कविताओं का संग्रह.
मैं भी जाऊँगा... (कहानी-संग्रह्) : गंगा प्रसाद विमल
महत्वपूर्ण लेखक गंगा प्रसाद विमल का कहानी-संग्रह. जहाँ दूसरे आंदोलनी लेखकों का लेखन एक समय के बाद थम सा गया वहीं इनके लेखन में कभी विराम नहीं आया जिसका प्रमाण है हाल ही में प्रकाशित उनके उपन्यास और अब यह कहानी-संग्रह 'मैं भी जाऊँगा'।
महत्वपूर्ण लेखक गंगा प्रसाद विमल का कहानी-संग्रह. जहाँ दूसरे आंदोलनी लेखकों का लेखन एक समय के बाद थम सा गया वहीं इनके लेखन में कभी विराम नहीं आया जिसका प्रमाण है हाल ही में प्रकाशित उनके उपन्यास और अब यह कहानी-संग्रह 'मैं भी जाऊँगा'।
गुलामों का गणतंत्र (कहानी-संग्रह्) : राजेन्द्र चन्द्रकांत राय
वरिष्ठ कथाकार राजेन्द्र जी का एक बडे अंतराल पर आया महत्वपूर्ण कहानी-संग्रह.
वरिष्ठ कथाकार राजेन्द्र जी का एक बडे अंतराल पर आया महत्वपूर्ण कहानी-संग्रह.
गोबरहा (दलित आत्मकथा) : विश्वनाथ राम
गोबर से अन्न निकाल कर जीवन-यापन करने वाले लेखक की संघर्षमय जीवन कथा. पूर्वी उत्तर प्रदेश के गोरखपुर इलाके से आने वाले लेखक ने अपने दलित-जीवन की संघर्षगाथा खूद लिखी है...
गोबर से अन्न निकाल कर जीवन-यापन करने वाले लेखक की संघर्षमय जीवन कथा. पूर्वी उत्तर प्रदेश के गोरखपुर इलाके से आने वाले लेखक ने अपने दलित-जीवन की संघर्षगाथा खूद लिखी है...
चार महत्वपूर्ण कथाकार जिनका पहला संग्रह जारी हो रहा है :
* पहला रिश्ता : दीर्घ नारायण
* अवाक् आतंकवादी : अजय सोडानी
* वाट्स एप पर क्रांति : अनुराग पाठक
* लुटिया में लोकतंत्र : राजेश पाल
* पहला रिश्ता : दीर्घ नारायण
* अवाक् आतंकवादी : अजय सोडानी
* वाट्स एप पर क्रांति : अनुराग पाठक
* लुटिया में लोकतंत्र : राजेश पाल
तीन् महत्वपूर्ण कवियों का पहला संग्रह :
* समुद्र से लौटेंगे रेत के घर : अमेय कांत
* हथेलियों पर हस्तारक्षर : आभा दूबे
* अब और नहीं : रामचन्द्र प्रसाद त्यागी
* समुद्र से लौटेंगे रेत के घर : अमेय कांत
* हथेलियों पर हस्तारक्षर : आभा दूबे
* अब और नहीं : रामचन्द्र प्रसाद त्यागी
कुछ और महत्वपूर्ण किताबें आ रही हैं:
* कलम की काकटेल (विविध लेख्-संग्रह) : शारदा शुक्ला
* समय और समय (कविता-संग्रह) : दुर्गाप्रसाद झाला
* कलम की काकटेल (विविध लेख्-संग्रह) : शारदा शुक्ला
* समय और समय (कविता-संग्रह) : दुर्गाप्रसाद झाला
* शूद्र : त्रिभूवन
* इर्द गिर्द अपने (कविता-संग्रह) : कृष्णकांत * भोजपत्र (कविता-संग्रह) : पुष्पिता अवस्थी
* कविता में सब कुछ सम्भव (कविता-संग्रह) : शैलेन्द्र शैल
* इर्द गिर्द अपने (कविता-संग्रह) : कृष्णकांत * भोजपत्र (कविता-संग्रह) : पुष्पिता अवस्थी
* कविता में सब कुछ सम्भव (कविता-संग्रह) : शैलेन्द्र शैल